अनदेखी

अनदेखी

कलमकार राज शर्मा की कविता ‘अनदेखी’ पढ़ें। हम बहुत सारी आवश्यक बातों की अनदेखी कर दिया करते हैं, मनुष्य के इस स्वभाव को कविता में संबोधित किया गया है।

बात बात पे मिथ्या बोलना, सबका यही स्वभाव ।
नकाब को आगे करके, एक सा देते सब जबाब।।

काम निकाले हर कोई, पाछे का सब भूल जाए।
गन्तव्य पर जब पहुंचे, फिर अपनी महिमा गाए।।

चकाचौंध है सब ओर, देखे न फिर परकाया ।
वेदना हो या आधि में, फिर भी फर्क न पाया ।।

मिल जाए अपने जैसे, फिर तो दिवाली होय।
प्रियवर या हिय प्रिया, निज अहम में खोय।।

~ राज शर्मा

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