धरती पर आये बन के मसीहा
ईश के दूजे रूप में तुम्हे ही चाहा
नमन करता “माही” हर उस माँ को
अपने बच्चों को डॉक्टर बनाया।
डॉक्टर का पेशा भी होता अज़ब
मरीज़ को पल में कर देते गज़ब
रखते हैं ख़ूब मरीज़ो से भाईचारा
दवा के रूप में देते सबको सबब।
कोरोनो की महामारी से जंग छिड़ी
मरीज़ो के संग डॉक्टरों ने भी लड़ी
हार नही मानी हैं सभी डॉक्टरों ने
चाहे आफ़त कैसी भी आके पड़ी
हर क्षण मानव -सेवा में लगा दिया
कोरोनो महामारी को भी झुका दिया
अपने परिवार की चिंताओं को छोड़
देशहित में अपने प्राण भी गवां दिया।
नमन करता हैं “माही” उन डॉक्टरों को
जिन्होंने कोरोनो से कई जिन्दगियाँ बचाई
कोरोनो मरीज़ो को बचाने की ख़ातिर
अपनी ही अर्थी को फ़ूलो से सजाई।
~ महेन्द्र परिहार “माही”