बदतर हालात

बदतर हालात

पिछले दिनों दिल्ली के बदतर हालात पर सविता मिश्रा द्वारा लिखी एक कविता पढ़ें। हम कैसे भूल जाते हैं कि इस तरह का माहौल दिलो-दिमाग पर एक भयावह छाप अंकित कर देता है, अतः अमन और शांति बनाए रखने में एक साथ कदम उठाना चाहिए।

भारत की शान है दिल्ली
हम सब की जान है दिल्ली
दिल्ली दिल है हिन्दुस्तान का
आज वहां अफरा तफरी है

अपने अपनो के दुश्मन बन बैठे
डर भय के माहौल में
दफन हो रही मानवता भाइ भाइ पे दाग रहे गोली
खेल रहे हैं लोग खून की होली भय आतंक के साये में
दम तोड़ रहा है जीवन

लाल किला गवाह है
हमने दुश्मन को धूल चटाई थी
आज वही स्तब्ध खडा
अपनो को अपनो से
भिडते देख रहा
कब मिटेगा सियासत का गन्दा खेल
कब तक हम चढते रहेंगे
गंदी राजनीति की भेट
गर ये आग न बुझी
समूचे देश में फैली
तो वो दिन दूर नही
जब फिर कोई
हम पर राज करेगा

~ सविता मिश्रा

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