यद्यपि जान प्यारी होती
घर भी प्यारा होता
संकट में अपनों का
सानिध्य न्यारा होता
भूख अभाव का असर
दिखता सब में
धैर्य और विश्वास
साथ छोड़ दें मग में
तब संकट चहुँ ओर
अधिक छा जाता
कोरोना जैसा दानव
शक्ति अधिक पा जाता
कुछ समझें हम भी
कुछ समझे प्रशासन
वो करें व्यवस्था और
हम रखें अनुशासन
जन जन करें सहयोग
तन से मन से धन से
बिगड़ें ना परिस्थति
तनिक कुआचरण से
ठहर जायें सब वहीं
उसे समझे अपना आंगन
सरकार हमारी वहाँ
उपलब्ध करें संसाधन
तब जाकर दुश्मन से
हम, विजय पायेंगे
स्वयं बचेंगे और
देश बचा पायेंगे
~ व्यग्र पाण्डे