Post category:COVID19 / कविताएं Post published:April 9, 2020 गाँव की याद छोड़ वे गांव की गलियां शहर निकल गये खौफ से भरे शहर उन्हे निगल गये विस्तार नही जीवन का जो कहते थे कल फिर याद आयी अम्मा कि रोटी, कच्ची सड़के, कच्चे घर, बरगद कि छाव, आम के पेड़ तरस रहे गांव आने को वे सब आज-कल। ~ प्रिंस Tags: SWARACHIT607F, कोरोना वायरस, तालाबंदी Read more articles Previous Postकोरोना का आपातकालNext Postइक दिन हार जाएगी ये बीमारी Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page. Δ You Might Also Like डॉ. कन्हैया लाल गुप्त “किशन”, सिवान December 26, 2019 विश्व पर्यावरण दिवस २०२० June 5, 2020 महाराणा प्रताप May 9, 2020 हाँ! हम राम के वंशज है April 2, 2020 आओ जोत जलाएं April 5, 2020 तरुणाई अब जाग उठी January 12, 2020