मैं कोरोना हूँ,
बेशक थोड़ा डरावना हूँ
विष लिए फिरता हूँ
अपना कर्त्तव्य करता हूँ
मैं एक सा रहता हूँ
रूप नहीं बदलता रंग नहीं बदलता
तुम इंसान हो,
बेशक अद्भुत हो
ज्ञान का भंडार हो
मगर अब तुम्हें
पहचानना मुश्किल है
तुम इंसान हो या हैवान हो?
बेशक मैं कोरोना हूँ
थोड़ा डरावना दिखता हूँ
लेकिन तुम इंसानो से अच्छा हूँ
चलो एक बात सुनाता हूँ
क्यों नहीं हरा पाए अबतक मुझे
इसका राज बताता हूँ
हम वायरसेस में है यूनिटी
हम करते हैं मल्टीफिकेशन
तुम इंसानो में हैं
ना जाने कितने डिवीज़न…
हम साथ- साथ बढ़ते हैं
तुम अलग-थलग रहते हो
हम वायरस हैं, मगर
तुम इंसानो से अच्छे हैं
हम में भी इंसानियत है
हम मोबलीचिंग नहीं करते हैं
हम बलात्कार नहीं करते हैं
हम हिन्दू मुस्लिम नहीं करते
हाँ जाने ली हैं हमने मगर
किसी की अश्मत नहीं ली
तुम इंसानी वायरस तो हो
हमसे भी खतरनाक
तुमसे तो अब मैं भी घबराता हूँ
अच्छा चलो अब मैं
अपने वतन को जाता हूँ
जाते जाते एक बात और बताता हूँ
तुम इंसान हो इस धरती की
अनमोल धरोहर
आपस में क्यों झगड़ते हो
यदि तुम सब भी मेरी तरह होते यूनाइट
तो कभी ना करनी पड़ती यूँ कोरोना फाइट…!
~ सचना शाह