कोरोना वायरस का करो ना तुम फैलाव
नफ़रत का ना जलाओ तुम अलाव
माना कि गहन अधंकार है हर फलक पर
आज भारत मां रो रही है बिलख कर
नवचेतना का संचार कर जला आशा का पुंज
हठधर्मिता छोड़ कर हरित कर दे यह कुंज
अमर्ष को तज कर मानवता पर ना कर तू प्रहार
रह घर में ना जा बाहर कर ना तू मानव सभ्यता का संहार
घूम कर यूं गलियों में ना भेंट चढ़ा जिंदगी की
रख धैर्य तू हौसला अफजाई कर कर्मवीर की
~ शीला झाला ‘अविशा’