खुदा से पूछता हूं

खुदा से पूछता हूं

खुदा से पूछता हूं
यह सब क्या माजरा
कहे जाते हो तुम करुणासागर
पर लोगों के भयंकर दुख देखकर
तू क्यों नहीं पिघलता
गरीब के पैरों के छाले देखकर
तेरा पाषाण हृदय क्यों नहीं धड़कता
लाखों के प्राण है तेरे हाथों में
क्या तुझे दया नहीं आती
सब सोचते हैं तू दया निधान है
सब सोचते हैं तू सर्वशक्तिमान है
पर अब ऐसा लगता नहीं
क्या तू केवल पाषाण रह गया
मैं तुम्ही से पूछता हूं।

~ शिवम तिवारी ‘प्रताप’

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