माना विद्यालय बंद है
तो क्या अध्ययन, अध्यापन सब बंद रहेगा?
माना सड़क पर नहीं जाना है
तो क्या हम ऐसे ही घूमते रहेगे?
माना कि कुछ राष्ट्र द्रोही पत्थर फेंक रहे हैं
तो क्या हम राष्ट्र धर्म छोड़ देगें?
माना कि आवागमन बंद है
तो क्या पैदल भूखे प्यासे चल देना ठीक है?
माना कि विश्व विपदा बहुत ही बड़ी है
तो क्या संयम की लक्ष्मण रेखा तोड़ देगे?
माना घर में जी नहीं लगता
तो क्या घूम-घूम के कोरोना फैलाते रहेगें?
~ डॉ कन्हैयालाल गुप्त ‘किशन‘