हालात देश की गंभीर है
अब तो संभल जाओ यारो
हैं पल तो कठिन बहुत
अब तो रुक जाओ यारो।
जूझ रहा है हर इंसान
जिंदगी अपनी संवारों
जीवन बहुत ही अमूल्य है
अब कीमत समझो यारों।
राग द्वेष जात पात भूल
पीड़ा आपस की हर लो
मिल जुल कर एक दूजे को
अब तो सम्हालों यारो।
सैर सपाटा मौज मस्ती
गप्पें बाद में कर लेना
घर बैठ के लॉकडाउन
नज़ाकत को समझो यारो।
थोड़ी समझदारी थोड़ा धीरज
थोड़ी इच्छाओं और जरूरतों
सीमित और वश में करके
विकराल संकट जाने दो यारो।
हैं माहौल बड़ा संगीन
हर कोने पर मौत खड़ी
औरों को खुद के संग
मौत के घाट न उतारो यारो।
~ मुकेश बिस्सा