हम कृतज्ञ हैं जो कलमकारों ने अपना स्नेह और सहयोग सदैव प्रदान किया है। डॉ कन्हैयालाल गुप्त जी ने हिन्दी बोल India के समर्थन में चंद पंक्तियाँ लिखी हैं जो उनके स्नेह को दर्शाता है।
तुने इतना मान बढ़ाया,
कम नहीं मेरी जिंदगी के लिए।
मेरी रचनाओं की कदर की, सम्मान दिया
कम नहीं है दोस्ती के लिए।
मन हिचकता था, डरता था, घबड़ाहट था,
कम नहीं हिम्मत के लिए।
मेरी टूटी-फूटी रचनाओं को सजाया, सँवारा
कम नहीं दिलकशी के लिए।
इतना आदर, सम्मान देते हैं, बात करते हैं,
इतना कम नहीं तारीफों के लिए।
हम तिल थे, तरु, हिमशिखर बनाने लगे हैं
इतना कम तो नहीं पुरुषार्थी के लिए।
ऐसे ही आदर, स्नेह बनाये रखिएगा हमेशा
इतना कम तो नहीं इस कन्हैया के लिए।~ डॉ कन्हैयालाल गुप्त ‘किशन’