मुस्कराते चेहरे आज उदास हैं

मुस्कराते चेहरे आज उदास हैं

 

हँसते मुस्कराते रहे चेहरे, आज वो बिल्कुल उदास हैं।
रात में मुश्किल से जो रुकते, चारों पहर ही पास हैं।।

अचानक आई आपदा से निपटना हो रहा कठिन।
शुक्र है परवरदिगार का, हमारी चल रही सांस है।।

माथे पर चिंता की लकीरें, जिनके स्वजन परदेश में,
कब यह हालात सुधरेंगे, सभी लगा रहे कयास हैं।।

मौजूदा वक्त में रिश्ते नातों से, न जा मिल सकते गले।
उनसे भी दूरी बनाकर रहना, जो रहते आस पास हैं।।

जिन गरीबों को न मिल पा रहे हैं, दो जून के निवाले।
करो दो मदद यदि तुम्हें, इंसानियत का एहसास है।।

धैर्य रखकर जीत सकते हैं, इस बीमारी से लड़ाई।
कुछ दिनों में आए, इस प्रलय का होना विनाश है।।

माना हो रही है घुटन, तो कर लो कुछ नव सृजन।
क़ैद हो कर घर में बिताना, अब न आ रहा रास है।।

देश समाज परिवार हित, ध्यान में है रखना जरूरी।
ये वक़्त भी गुज़र जाएगा, आना फिर मधुमास है।।

~ लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.