आदमी तन्हा है

आदमी तन्हा है

इस दूनिया की भीड़ में
आज आदमी तन्हा है ।

जो प्रकाश दे जग में
वो सूरज आज तन्हा हैं।

जो खेतों में धान निकाले
वो अन्नदाता आज तन्हा हैं।

जो औरों के दर्द दूर करे
वो भगवान आज तन्हा हैं।

जो दीप जलाए ज्ञान के
वो शिक्षक आज तन्हा हैं

जो दूर करे बीमारी सब की
वो चिकित्सक आज तन्हा हैं।

जो यातायात के नियम बताए
वो प्रहरी ही आज तन्हा है।

जो सीमा पर देश की रक्षा करे
वो सैनिक ही आज तन्हा हैं।

जो अपनी मंजिल तक पहुंचाए
वो वाहन चालक आज तन्हा हैं।

जो आसपास को स्वच्छ रखे
वो सफाईकर्मी आज तन्हा हैं।

जो अपनो को गले लगाए
वो इंसान ही आज तन्हा हैं।

पर लगता है इस जीवन में
हर एक आदमी ही तन्हा हैं।

~ मुकेश बिस्सा

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