बहुत दिन हुए

बहुत दिन हुए

आपसे मिले बहुत दिन हुए,
जीवन रहा तो हम सदा की तरह मिलतें रहेगें.
अभी कोरोना संकट काल चल रहा है,
मिलना जुलना मुहाल हुआ है.
हमें वो सब बातें याद है, भूला कुछ नहीं,
जब मिलेगें तो सारे शिकवे गिले दूर होगें.
बहुत दिन हुए विद्यालय गये,
साथी शिक्षकों से मिले, राष्ट्र निर्माण में एकजुट हुए.
बहुत दिन हुए घर से विद्यालय की सड़कों पर चले हुए
जैसे बाँहें फैलाये बुलाती हो.
बहुत दिन हुए मित्रों से गलबाहियाँ मिलें
अब तो कोरोना से इस पर पाबंदियां है.
बहुत दिन हुए घर की देहरी को लाने हुए
मानवता, राष्ट्र, समाज, परिवार खातिर.

~ डॉ. कन्हैयालाल गुप्त ‘किशन’

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