हमारी कई हरकतों को देखकर लोग हजार सवाल पूछा करते हैं। कलमकार तृप्ति मित्तल ने इंसान की इस मानसिकता को अपनी कविता में संबोधित किया है। हमें सकारात्मक सोच के साथ आगे आगे बढ़ते रहना चाहिए।
लोगों की निगाहों को आदत है देखने की,
कुछ ढूंढते हैं हर पल,
वो आँखों में तुम्हारी।
तुम हालात की तहरीर को,
चेहरे से जुदा रखना।
लोग पूछेंगे सवाल हज़ार,
तुम लबों पर मुस्कान रखना।यूं ही दिल की बात कहने में, उम्र बसर की
अब उनकी खामोशियों में,
खुद को ढूंढना है।
मुद्दत हुई यार को याद करते हुए,
मुसलसल हर चेहरे में,
वो चेहरा तलाशते हुए।
अब उसकी हर बात का,
सबब बनना है।पहले से इज़्तिराब की आरज़ू,
ना कर मेरे महबूब
खुदा का खैर।
दिल ही में कुछ रहा नहीं हमारे,
वरना हम वो नहीं, रह जाए कहे बग़ैर।
लोग पूछेंगे सवाल हज़ार।~ डॉ. तृप्ति मित्तल