कलमकार शीला झाला की कुछ पंक्तियाँ पढिए जिनमें प्रेम के शुरुआती दिनों का वर्णन हुआ है। आपको कोई पसंद आ जाता है और ख्यालों की दुनिया बनाने में आप व्यस्त हो जाते हैं।
तेरे इश्क का सुरूर दिल पर छा रहा है
तेरी मोहब्बत का लगता है फरमान आ रहा है
तन्हाइयों में तेरी यादों का कहर है इस कदर
देखती हूं तेरा अक्स आइने का हर एक कतरा है जिधर
तेरे निश्छल प्रश्नो ने बड़ा परेशान किया है
झुका दिया है व्योम श्रृंगी को आसमां दिया है
इश्क था तेरी रूह से तेरी बातों से
लड़ना पड़ा तेरी खातिर सागर की साहिलो से
वो लम्हा जिसमें तू मिल जाये मुझको
कायनात का हर कतरा समर्पित है तुझको
तेरा मेरा संग है मार्तण्ड-मयंक का
तुझे पा लूं तो लगे भर जाते अंक मानो बसंत सा~ शीला झाला ‘अविशा’