प्रकोप प्रकृति का

प्रकोप प्रकृति का

गुनाह तोह पासपोर्ट का था,
दरबदर राशन कार्ड हो गए।

प्रकृति के इस भूचाल ने हम,
सभी को सबक सीखा गए।

दुरपयोग करने की सजा हम
सबको दे दिए गए।

मंदिर-मस्जिद की जरूरत नहीं,
शिक्षा, चिकित्सा के महत्व को बढ़ाये गए।

नए दुश्मन के आने से जरूरतमंदो,
से मुलाक़ात करवा दिये गए।

परिवार के महत्ता को एक दूसरे से,
रूबरू करवा दिए गए।

पैसो की भरमार होते हुए भी अपनी,
गलती से जीवन गवा दिये गए।

एकता में कितना बल है,
इसकी पहचान आज कर लिये गए।

बांटे थे धर्मों को,
आज मिलजुल कर जीवन दान दे गए।

अब किसको काटोगे मरोगे,
कोरोना के चपेट में लगभग सब आ ही गए।

~ ट्विंकल वर्मा

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