रोशनी से जागती
उम्मीदों की किरण
अंधेरों को होती
उजालों की फिक्र
सूरज है
चाँद है
बिजली है
इनमें स्वयं का
प्रकाश होता
ये स्वयं जलते
दिये में रोशनी होती
मगर जलाना पड़ता
सब मिलकर दीप जलाएंगे
धरती पर
करोड़ो दीप जगमगाएंगे
औऱ ये बताएंगे
संक्रमण के अंधेरों को
एकता के उजाले से
दूर करके
स्वस्थ जीवन को
दूरियां बनाकर
देखा जा सकता
पाया जा सकता।~ संजय वर्मा ‘दृष्टि’