धरती करे पुकार
मत करो मानव मेरा संहार,
बच्चे के तरह में तुमको पालती
कुछ तो फिक्र करो तुम मेरे हाल की।
आधुनिकता की इस होड़ में
मत नष्ट करो मेरा श्रृंगार,
वनों, पर्वतों, नदियों, सागरों को स्वच्छ रख
बहने दो मधुर, सुगंधित बयार।
जीव-जंतु सभी को है मैंने दिया अपने पर
जीने का अधिकार
मत करो तुम उनको मारकर मेरा किया बेकार,
मेरे बनाये पर्यावरण के संतुलन का तुम रखो ख्याल
तभी हो पायेगा मुझ पर जीवन खुशहाल।
धरती करे पुकार।
~ चुन्नी लाल ठाकुर