सम्भले रहो

सम्भले रहो

एक विपदा आई है
सम्भले रहो, सम्भले रहो
बैठ कर देखो तमाशा
हो रहा है जो, संसार में
पर करना कुछ भी नहीं
यदि, करना है तो बस ये करो
केवल अपनी ‘खटिया’ से
चिपके रहो, चिपके रहो
हो कर चुपचाप देखो
टी. वी. पर सबकी बात देखो
समझो और समझाओ
अऊर भईया!
और कोरोना को दूर भगाओ..

– मोहित पाण्डेय

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