हिंदी भाषा विश्व में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाती है, और गर्व की बात है हम भी इससे एक सूत्र में बंधे हुए हैं। हिंदी भाषा का प्रसार हर जगह हो रहा है। हम सभी को अपनी बोली भाषा का सम्मान करना चाहिए। अन्य भाषाएँ सिखनी चाहिए लेकिन उनकी नकल करना ठीक नहीं है। आइए हम भी हिंदी बोली का आदर और सम्मान कायम रखें और हिंदी कृतियाँ अवश्य पढ़ें।
पन्ना का दीपदान है हिंदी
राष्ट्र का सम्मान है हिंदी
मातृभूमि की जान है हिंदी
मीठा अमृत पान है हिन्दी
साहित्य स्वाभिमान है हिंदी
वात्सल्य की शान है हिंदी
सूरदास रसखान है हिंदी
मीरा की प्रेम कहानी हिंदी
तुलसी की मधुर वाणी हिंदी
कबीरा जैसी सन्त है हिंदी
प्रसाद, निराला पन्त है हिंदी
महकती सी फुलवारी हिंदी
सत्य ईमान सी प्यारी हिंदी
पुष्प की अभिलाषा हिन्दी
जीवन की प्रत्याशा हिन्दी
नव रसों की गागर हिंदी
गागर में है सागर हिंदी
प्रेमचंद का गोदान है हिंदी
पन्ना का दीपदान है हिंदी
हर जगह है हिन्दी
सांसो में हिंदी
ख्वाबों में हिंदी
मेरे रग-रग में हिंदी
न पूछ दिल से कहां-कहां नहीं है हिंदी
संस्कृत की बेटी
धरा पर है सुशोभित
फूलों के रस-रस में हिंदी
न पूछ दिल से कहां-कहां नहीं है हिंदी
रागों में हिंदी
मलाह गीत में हिंदी
कोयल के स्वर-स्वर में हिंदी
न पूछ दिल से कहां कहां नहीं है हिंदी।
बैखरी में हिंदी
मृदंग नाद में हिंदी
मुरली की तान-तान में हिंदी
न पूछ दिल से कहां-कहां नहीं है हिंदी
माँ की ममता में हिंदी
दादी माँ की कहानी में हिंदी
शिशु के प्राक शब्द-शब्द में हिंदी
न पूछ दिल से कहां-कहां नहीं है हिंदी
बसन्त के छटा में हिंदी
वनस्पति के गुणों में हिंदी
सरिता के छल-छल में हिंदी
न पूछ दिल से कहां-कहां नहीं है हिंदी
व्यवहार में हिंदी
विराट गुरु ज्ञान में हिंदी
मेरे जीवन के रोम-रोम में हिंदी
न पूछ दिल से कहां-कहां नहीं है हिंदी।
हिन्दी तो सीख लो
अंधी दौड़ को छोड़कर,
वास्तविकता की ओर लौट आओ।
हिन्दुस्तान में रहते हो,
हिन्दी की ओर लौट आओ।
‘हैलो हैलो’ फिर कर लेना,
पहले प्रणाम करना सीख लो।
अंग्रेजी फिर बोल लेना,
पहले हिन्दी बोलना सीख लो।
हिन्दी को जान लेने पर,
संस्कृत भी सीख जाओगे।
संस्कृतं सीख लेने पर ही,
संस्कृति बचा पाओगे ।
‘गुड, नाइस’ फिर कर लेना,
पहले अच्छा, उम्दा कहना सीख लो।
अंग्रेजी फिर बोल लेना,
पहले हिन्दी बोलना सीख लो।
हिन्दी हमारा मान है,
हिन्दी ही अभिमान है।
हिन्दी कहने से लज्जा क्यों ,
हिन्दी हमारी पहचान है।
‘थैंक यू’ फिर कर लेना ,
पहले धन्यवाद करना सीख लो।
अंग्रेजी फिर बोल लेना,
पहले हिन्दी तो सीख लो।
उर्दू और हिन्दी में तो,
भाई-बहन सा रिश्ता है।
पर हिन्दी में अंग्रेजी शब्द,
दूध में बाल-सा दिखता है।
विदेशी भाषा भी आवश्यक है,
पहले स्वदेशी तो सीख लो।
अंग्रेजी फिर बोल लेना,
पहले हिन्दी तो सीख लो।
अपनी हिन्दी
हिन्दी भारत माँ के चेहरे की मुस्कान है,
हिन्दी अपने हिन्द की प्यारी पहचान है।
हिन्दी सुहागन के माथे की बिंदी होती है,
बिन हिन्दी के हर कहानी अधूरी होती है।
हिन्दी बिन न होती अपनी सुबह, शाम,
हिन्दी में हर हिंदू जपे अपने प्रभु का नाम।
हिन्दी में ही आते हैं ज्यादा न्यूज प्रचार,
हिन्दी में ही आते हैं सब फिल्म चित्रहार।
हिन्दी की अपनी एक विशिष्ट पहचान है,
हिन्दी में नग्में सुन कर आती मुस्कान है।
हिन्दी के बिन होता नहीं अपना दिन पूरा,
बिन हिन्दी के मुझको लगता जीवन अधूरा।
हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा
न जाने कितने युगों से हिन्दोस्तानियों के लबों पर विराजमान रही,
हिन्दी है और कई उपबोलियों में है कही।
प्राकृत, खरोष्ठी, संस्कृत, फारसी कई भाषाओं का समावेश,
ब्राह्मीलिपि में लिखे गये हैं कई वेद संग उपदेश।
आज बहोत बदल चुका है मेरा देश …
मराठी, नागरी, नेपाली, पहाडी और मेरी एक ही लिपि,
बचाये मेरे इतिहास को इतनी समझ अभी तक नहीं है दिखी।
मुझे छोडकर विदेशी भाषाएँ है अपनाई जाती,
मैं हू राजभाषा बस याद एक दिन ही है करवाई जाती है।
अ [अनपढ़] से मेरा श्री गणेश ज्ञ [ज्ञानी] बनाये मेरे स्वर, व्यंजन अनेक।
घर में ही हो गयी हूँ पराई, क्यों मुझे छोड़ कर दूसरी बोली है लबों पर लाई।
मुझे यूं बेगाना न करना थोड़ा ज्ञान मेरे वर्णों का भी भरना,
मेरे बिना ये कैसा दूसरी बोलियों के लिये है तुम्हरा लडना।
कई काव्य, कहानी, उपन्यास और कई अमूल्य रचनाओं की उपज है हिन्दी बोली,
क्यों मुझे भूल गये जो है किताब दूसरी खोली।
आज हर कोई [विदेशी] मुझे सीखना, जानना चाहता है,
मैं हूँ क्या मेरा इतिहास क्या ये शख्स मेरे अपने घर का ही मुझसे कहता।
अश्रुरूपी धार है बहती, जब आज आधी भारतीय जनता है कहती हमें हिन्दी नहीं आती।
फिर क्यों नहीं वो ही पुरानी शिक्षा दीक्षा सिखाई जाती,
जिसमें सभी भारतीय बोलियाँ थी आपस में मिलकर बस राग एक ही गाती।
बस फिर हिन्दी एक दिन है तेरी याद आती, फिर तु है भूलाई जाती।
हिन्दी से प्रीत लिखें
देवनागिरी लिपि हमारी,
सुंदर सुरभित गीत लिखें।
मातृभूमि शृंगार है हिन्दी,
हम हिंदी में जीत लिखें।
अलख जगा दें देश में अपने,
संस्कृति अपनी महान।
आज करे शुरुआत नई,
हिन्दी हस्ताक्षर अभियान।
इतनी शक्ति देना दाता,
बने सभी हम सच्चे नेक।
ईश्वर दे सद्बुद्धि सबको,
हों सब भारतवासी एक।
उन्नति करता रहे देश यह,
हो जाए जग में नाम।
ऊंचा मस्तक शिखर हिमालय,
तिरंगा को प्रणाम।
एक रहें सब भारत वासी,
हिन्दी बने देश की शान।
ऐसा दिन आ जाये फिर से,
बढ़े विश्वगुरु का मान।
ओंकार की शक्ति समेटे,
हिंदी अनुपम अक्षर ज्ञान।
औरत है हर शक्ति शालिनी,
हर पुरुष है वीर जवान।
हिन्दी मन की मधुरिम भाषा,
छंद- छंद संगीत लिखें।
तार हृदय के झंकृत कर दे,
धड़कन-धड़कन प्रीत लिखें।
जन जन की भाषा हिन्दी
हिन्दी है भारत की बिंदी इसका गौरव गान करो।
पढ़ो, लिखो हिन्दी और हिन्दी पर अभिमान करो।।
तुलसी मीरा सूर रैदास की भाषा का सम्मान करो।
शास्त्र हमारे लिखे हिन्दी में थोड़ा सा तो ध्यान करो।।
चौपाई दोहे सोरठे छन्द की रचना पर स्वभिमान करो।
हिन्दी साहित्य के इन वीरों का दिल से सम्मान करो।।
जन जन की भाषा हिन्दी का सब मिलकर गान करो।
हिन्दी है सबकी अभिलाषा और हिन्दी का ज्ञान करो।।
हिंदी हमारी भाषा
हिंदी मात्र हमारी मातृभाषा नहीं
हिंदी एक एहसास है
हिंदी सरल, सहज, स्पष्ट भाषा है
हिंदी सभी भाषाओं से सुंदर भाषा है
हिंदी लिख-बोल हम खुद को गौरान्वित महसूस करते हैं
हिंदी हिंद की पहचान है
हिंदी को यूं ही हम माँ नहीं कहते
हिंदी को हम माँ की तरह मान-सम्मान देते हैं
हिंदी भाषा के प्रयोग से हम अपने भावों को सुगमता से व्यक्त करते हैं
हिंदी हमारे लिए मात्र भाषा नहीं
हिंदी मन का भाव है
हिंदी न केवल हमारी राजभाषा है
हिंदी मन के भावों को व्यक्त करने की भाषा है
हिंदी पूजनीय भाषा है
हिंदी मात्र भाषा नहीं हिंदी हमारे राष्ट्र की दिल की भाषा है