यह कविता उस वर्ग को समर्पित है जो संकट की घडी मे.अपनी जान जोखिम मे डाल कर मानव को जीवनदान प्रदान करते हैं और समाज मे निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं मेरा आशय चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों से है
चिकित्सा का पेशा है महान
मानवता की सच्ची पहचान
राष्ट्र की आन बान और शान
निस्वार्थ सेवा उन्हें बनाती महानजब जब विश्व मे संकट छाया
यही वर्ग है आगे आया
दक्षता से अपना कर्तव्य निभाया
कीमती जानों को है बचायाअपनी जान को संकट मे डाला
असहाय मरीजों का बना रखवाला
देश मे वयाप्त महामारी को टाला
फर्ज निभाने को हुआ उतावलाचिकित्सा का कार्य अति महान
असाध्य मरीजों को देवे जीवनदान
समाज के लिए है इक वरदान
सेवा कर्तव्यपरायण इनका ईमानसमर्पित भाव से करते काम
कभी नहीं करते आराम~ अशोक शर्मा वशिष्ठ