मुझे मेरे हिन्दू होने पर नाज है
तुझे तेरे मुस्लिम होने पर नाज है
लेकिन राम मेरा भी मुझसे नाराज है
और खुदा तेरा भी तुझसे नाराज है
पाप मैंने भी किए होंगे कभी
गुनाह तूने भी किए हों शायद कभी
इंसानियत को खोने की सजा
शायद मालिक हमको दे रहा है
ना राम मुझे मंदिर में बुला रहा है
ना खुदा तुझे मस्जिद में बुला रहा है
तो खता मेरी भी उतनी ही है
और गलती तेरी भी उतनी ही है
आ वक्त रहते संभल जाएं और.
इंसानियत के धर्म को अपना ले
मैं चाहे उसे ईश्वर कह लू
तू उसे अल्लाह कह ले
है तो सब एक ही
हिंदू मुस्लिम को छोड़कर
चलो हम सब मिलकर
एक बने और नेक बने
सिर्फ भारतीय प्रत्येक बने
अब तू अपने खुदा को खुश कर
मैँ अपने प्रभु राम को मनाऊं
इस संकट से मुक्त करो हे ईश्वर-अल्लाह
अवसर दे, मैँ फिर से इंसान बन जाऊं।
~ अवि राठौड़ “अविशा”