कविता का कवि लॉकडाउन में दिल्ली में है और वह उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद में स्थित अपने गाँव को याद कर रहा है
जाने की सोचता हूंँ जहाँ,
रहते हैं मेरे लोग वहाँ,
खेतों की हरियाली देखि,
पानी के तालाब यहाँ,
गाय माता के सब छूते पांव,
वही तो है मेरा गांव।अजब गजब सी बातों को
याद बहुत मैं करता हूंँ,
सब से हुई मुलाकातों को
याद बहुत में करता हूंँ,
याद मुझे वो पेड़ों की छांव,
वही तो है मेरा गांव।सभ्य सभी हैं लोग वहां,
ज्यादा नहीं है लोभ यहां,
वो शुद्ध ठंडी हवाओं को,
याद बहुत मैं करता हूंँ,
मुश्किल घड़ी में आता काम,
वही तो है मेरा प्यारा गाँव।~ पं. आदित्य भारद्वाज