Post category:COVID19 / कविताएं Post published:April 29, 2020 मनोस्थिति आज मनोस्थिति ऐसी है कि करे तो क्या करें कुछ सूझता नहीं समय कटता नहीं पर/कुछ तो करना ही होगा और करना ही पड़ेगा वो तो ये है कि हम सबको सहना ही पड़ेगा तब कहीं जाकर हम इस मनोस्थिति से बाहर निकल सकते हैं। ~ मनोज बाथरे Tags: SWARACHIT705G, कलमकार- मनोज बाथरे, कोरोना वायरस, तालाबंदी Read more articles Previous Postईरफान खानNext Postजंग हमारा देश जीतेगा Leave a Reply Cancel replyCommentEnter your name or username to comment Enter your email address to comment Enter your website URL (optional) Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page. Δ You Might Also Like नीरज त्यागी, ग़ाज़ियाबाद October 2, 2019 लाकडाउन में भी खुशी ढूँढ लेते हैं March 29, 2020 जनवरी २०२१ – अधिकतम पढ़ी गई कविताएं February 7, 2021 राष्ट्रहित के लिए समर्पित January 26, 2020 पिता October 8, 2019 कुदरत के उपहार January 25, 2020