नसें हमारी उभड़ गयी, तन से बहता पानी है,
हम मेहनतकश विश्व के यही हमारी निशानी है,
खून-पसीना एककर हम चैन की रोटी खाते है,
नहीं माँगते भीख किसी से अपने दम पर जीते हैं,
मेहनत हमको सबसे प्यारी, मेहनत है ईमान,
मेहनत पर जो आँख दिखाये, खड़े हो सीना तान,
अपने दम पर हम जीते हैं अपने दम पर पलते है,
नहीं चाहिए मक्कारी की, मेहनत है अपना भगवान,
मेहनत के ही बल पर हम तो दुनिया को दिखला देगें,
मेहनत से ही इस मिट्टी को सोने सा बना देगें.
~ डॉ कन्हैया लाल गुप्त किशन