सफ़ेद कोट व ख़ाकी वर्दी

सफ़ेद कोट व ख़ाकी वर्दी

मानवता की सेवा में इन्होंने, अपने दिन रात लगाए हैं!
अपने घर की फ़िक्र छोड़कर, यहां लाखों घर बचाएं हैं!

सफ़ेद कोट व ख़ाकी वर्दी पहन, फ़र्ज़ अपने निभाए हैं!
ज़रूरी चीजें, मास्क के संग सैनिटाइजर भी बंटवाए हैं!

मौसमी आफ़त के झोंकों ने, न इनके हौंसले डिगाए हैं!
हमें अपनों संग रखा, पर ख़ुद न अपनों से मिल पाएं हैं!

भूखों को भोजन व मरीज़ को दवा ये ही तो पहुंचाए हैं!
संकट की घड़ी में ये सभी, संकटमोचन बनकर आए हैं!

सबने किया सजदा इन्हें, रास्ते इनके फूलों से सजाए हैं!
कुछ धूर्त लोगों ने लेकिन, इन पर पत्थर भी फिंकवाएं हैं!

~ इं० हिमांशु बडोनी (शानू)

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