दुनिया के सामने तस्वीर हमारी
सब के जुबा पे नाम हमारी
फिर भी ना कोई पहचान हमारी
क्योंकि मैं मजदूर हूं
दुनिया हो गई एक साथ
आज सबके आगे फैला हाथ
ऐसी हो गई दशा हमारी
क्योंकि मैं मज़दूर हूं
रोटी के लिए मर रहा हूं
घर जाने को तरस रहा हूं
फिर भी ना कोई बात सुने हमारी
क्योंकि मैं मजदूर हूं
दिवस मेरा मनाया जाता
उस दिन सबको याद आता
इससे सबको प्रसिद्धि मिलती
हाथ मुझे ना कुछ आता
क्योंकि मैं मजदूर हूं
~ आशुतोष प्रताप
जिला मुजफ्फरपुर, बिहार