वो जो कहते थे वक़्त नहीं मिलता
आजकल अपनों के संग वक़्त बिता रहे है।
के बहुत खुश है वो नन्हा ये देख कर
उसके हिस्से का सारा प्यार उसे मिल रहा है।
क्यों की मां आज कल दफ्तर नहीं जा रही है।
फेस बुक पर लोग लाइव ज़्यादा आ रहे है।
कोई चेता रहा है अपनों को
तो कोई लॉक डाउन का लुफ्त उठा रहे है।
इन दिनों झप्पिया नहीं पा रहा कोई
सब नमस्ते सलाम से काम चला रहे है।
और दिख रही है क्रिएटिविटी चारो ओर
अब हम को देख लो हम कविता बना रहे है।
गुम हो गया था जो मधुमय संगीत प्रकृति का
धीमे धीमे आज कल सुनाई दे रहे है।
ये प्रकृति का दिया हुआ वेकेशन है जनाब
आज कल शहरों से लोग गावों की ओर जा रहे है।
कुछ इस तरह लड़ रहे है मजदूर जंग ए ज़िन्दगी
निवाला नहीं हाथों में इनके और कुछ लोग
जहाज़ों में बैठ कर बीमारियां फैला रहे है।
एक तरफ इंसानियत का मिसाल बने हुए है चंद लोग
स्टेथोस्कॉप लिए हाथों में धरती पे भगवान कि भूमिका निभा रहे है।
~ वर्षा यादव