मन में विचार सुलग गया
कैसी बन्धगी कैसा ताला।
शिक्षा मंदिर बंद भयो
खुल गयी मुधशाला।
संभली हुइ चाल चली
सरकार कहे ये है भली
एक हाथ को बचाती फिरे
दुसरे हाथ को जलाती चली
छाती ओर कवच औड़ा
पीठ पे पड़ेगा भाला
शिक्षा मंदिर बंद भयो
खुल गयी मधुशाला।
मदिरा रत्न सर्वोत्म हुआ
जीवन मुल्य खत्म हुआ
दावत दे दी निशाचर को
कैसा अब ये जत्न हुआ।
फिर न जुड़े कहीं टुटी हुई
कोरोना विष की माला।
शिक्षा मंदिर बंद भयो
खुल गयी मधुशाला।
थोड़ा सा अब ज्ञान हुआ
मदिरा सबसे महान हुआ
रोटी टुकड़ा चाहे न मिले
नशे का बड़ा सम्मान हुआ।
देखा रे मानव तुने कितना
अपनेआप को कैसा ढाला
शिक्षा मंदिर बंद भयो
खुल गयी मधुशाला।
मन मे विचार सुलग गया
कैसी बंधगी कैसा ताला
शिक्षा मंदिर बंद भयो
खुल गयी मधुशाला।
~ एम एल राणा