ये आहट कैसी है मृत्यु की, चारों तरफ हाहाकार मचा है।
ये जो पसरा है सन्नाटा, क्या कोई मौत का पैगाम लाया है।
कोई तन से हारा, कोई मन से हारा
चला जो दो कदम वो फिर समाज से हारा।
कोई दामन को बेदाग रखा, कोई कांटों से भरा ताज पहना
कोई लड़ा दुश्मनों से, कोई अपनों से हार गया।
उठा जो तूफान समुंद्र में, हर किसी ने किनारा छोड़ा
लगी जो आग दिल में, हर किसी ने मुंह फेरा।
~ मिथुन सिन्हा