न जात देखे न धर्म देखे
अमीर देखे न गरीब देखे
बड़ी बेरहम बीमारी हैं
इससे दुनिया हारी हैं
कोरोना सब पर भारी है।
सात समंदर पार से
चीन के बाजार से
ऐसी ये महामारी हैं
त्रासदी ये सारी हैं
कोरोना सब पर भारी है।
विश्व सारा जूझ रहा
हल न अब सूझ रहा
वुहान से ये आया हैं
कहर इसने ढाया हैं
कैसी ये लाचारी हैं
कोरोना सब पर भारी है।
कैद खुद को रखना
कोठरी में तुम रहना
बंदिशे हमने जानी हैं
जान इससे बचानी हैं
कोरोना सब पर भारी है।
ना मिले ना जुले हम
दूर दूर सब रहे हम
धैर्य का दामन थामे हम
अपने ही घर में रहे हम
कोरोना सब पर भारी है।
कितने कर्मवीर लड़ रहे
जान जोखिम में डाल रहे
वतन अपना गुलजार रहे
हम भी सहयोग कर रहे
जान इनपर वारी हैं
कोरोना सब पर भारी है।
~ मुकेश बिस्सा