माँ की कृपा बड़ी निराली है
करो समर्पण फिर जिंदगी में खुशहाली है
भले ही माँ भूखी रह जाती है
मुझे आई तृप्ति की डकार से माँ संतुष्ट हो जाती है
संसार में माँ ही शक्तिशाली है
बिन माँ के दुनिया की बदहाली है
माँ रातो को लोरिया सुनाती है
नींद में मीठे सपनो को बुलाती है
कभी नींद में हँसाती गालो में गड्डे बनाती है
जब जब माँ की याद आती है
सुबह मीठी आवाज में उठाती है
माथे को चुम कर बालो को सहलाती है
स्वर्ग धरा पर बनाती है
माँ का कृपा बड़ी निराली है
करो समर्पण फिर जिंदगी में खुशहाली है
~ संजय वर्मा “दृष्टि”