ममता की छाँव में

माँ तेरी ममता की छाँव में
कब बड़े हो गए,
पता ही ना चला।
माँ तेरी उँगली पकड़कर
कब चलना सीख गए,
पता ही ना चला।
माँ तेरी गोदी में सिर रखकर
कब समझदार हो गए,
पता ही ना चला।
माँ तेरे पीछे भागते-भागते
कब जिंदगी के पीछे भागने लगे,
पता ही ना चला।
माँ तेरा आँचल पकड़ते-पकड़ते
कब जिम्मेदारियाँ पकड़ ली,
पता ही ना चला।
माँ तेरे हाथ से खाते-खाते
कब सबको खिलाने लगे,
पता ही ना चला।
माँ तेरी बातों को सुनते-सुनते
कब दुनिया को सुनने लगा,
पता ही ना चला।
माँ तेरे स्‍नेह में जकड़ते-जकड़ते
कब दुनियादारी में जकड़ गए,
पता ही ना चला।
माँ तेरे ना दिखने पर रोते-रोते
कब दुखों में रोने लगा,
पता ही ना चला।
माँ तुमसे लड़ते-लड़ते
कब संघर्षों से लड़ने लगा,
पता ही ना चला।
माँ तेरी ममता की छाँव में
कब बड़े हो गए,
पता ही ना चला।

~ शिम्‍पी गुप्ता

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