मुझे आज भी याद है मां
जब उंगली पकड़कर चलाने पर
अचानक बीच में छोड़कर मुझे
खुद के पैरों पर खड़ा होना सीखती थी।
मुझे आज भी याद है मां
तेरी ममता का मैला ऑचल
जिससे सुरक्षा देकर मुझे
हर कष्टो से लड़ना सिखाती थी।
मुझे आज भी याद है मां
तेरी वह प्यारी सी गोंदी
जिसकी गहराई में बिठाकर मुझे
कष्टमयी संसार में जीना सिखाती थी।
मुझे आज भी याद है मां
तेरी वह अश्क भरी आंखें
इसमें सभी कष्टो को छिपाकर मुझे
सहनशीलता का पाठ पढ़ाती थी।
मुझे आज भी याद है मां
तेरे हाथों में जलकर पड़े छाले
जिसकी जलन को पानी में धुलकर मुझे
जीवन में कभी हार न मानना सिखाती थी।
मुझे आज भी याद है मां
तेरी वह मीठी मीठी-मीठी लोरियां
जिसके सभी शब्द मुझे
जिंदगी की राह दिखाते थे।
मुझे आज भी याद है मां
तेरे साथ गुजारे सभी पल
जिसमें हर एक क्षण मुझे
एक सच्चा इंसान बनाना चाहती थी।
~ शिवम तिवारी