मुसीबतों में भी हरदम मुस्काती।
प्यार से सिर मेरा सदा सहलाती।।
खुद भूखी, भरपेट भोजन कराती।
सदन उपवन सा अपना महकाती।।
कुशल प्रबन्धन से गृहस्थी चलाती।
पिता की डांट से सदा हमें बचाती।।
बुरी नजर का काला टिका लगाती।
सारी बलायें हमारी अपने सर लेती।।
जीवन भर हमें सदा दुआएँ देती।
कष्टों में भी कभी नहीं घबराती।।
माँ की ममता मेरा मन हर्षाती।
माँ पर तो सारी दुनिया इतराती।।
माँ है ईश्वर का अनुपम वरदान।
माँ है इस जहां में सबसे महान।।
~ सत्यनारायण शर्मा “सत्य”