समझ नहीं पा रहा मैं

समझ नहीं पा रहा मैं

हम सब भी कई बार ऐसी परिस्थितियों से गुजरते हैं जब कुछ भी समझ नहीं आता है। उस वक्त तो जो भी उचित सलाह देता है वह एक गुरु से कम नहीं। कलमकार मिहिर सिन्हा ऐसी स्थिति को इस कविता में दर्शाने का प्रयास कर रहे हैं।

अंधेरी दुनिया में हर वस्तु जुगनू सा है
कहानी हर इंसान की अपनों सा है
बदलता तो हालात है लोगों को
यहां हर गलती भी सही सा है
परिवार चलाने के लिए की चोरी तो गलत क्या है
पितृ धर्म निभाने के लिए लिया घुस तो गलत क्या है
फर्ज निभाने के लिए पकड़ा किसी मजबूर को तो गलत क्या है
सब बनते नायक जिंदगी की तो गलत क्या है
जिंदगी में करना है क्या समझ नहीं पा रहा मैं
जिंदगी से लड़ना है क्या समझ नहीं पा रहा मैं
क्या सही क्या गलत समझ नहीं पा रहा मैं
हकीकत कुदरत की समझ नहीं पा रहा मैं
जिंदगी में करना है क्या समझ नहीं पा रहा मैं

~ मिहिर सिन्हा

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