प्रकृति और हम

प्रकृति और हम

प्रकृति की रक्षा करना हर इंसान का दायित्व है। इसकी क्षति संपूर्ण जीव-जंतुओं के लिए घातक सिद्ध होती है। कलमकार अतुल चौहान की यह कविता पढें जो हमें पर्यावरण के प्रति सतर्क करती है।

जाने क्यों यह थम सा गया है,
किस विपदा ने घेरा है,
युगों-युगों से बढ़ता आया,
जाने क्यों यह बंद हो गया।

जानें क्यों सब बंद से हो गए है,
बच्चे, बूढ़े सब कैद से हो गए है,
यदि प्रकृति का उपहास करोगे,
नित-नई विपदाओं का आवाह्न करोगे।

प्रकृति की करोगे रक्षा,
प्रकृति करेगी तुम्हारी सुरक्षा,
यदि प्रकृति को अपनाओगे,
तो आगे बढ़ते जाओगे।

करे प्रण आज ये हम,
प्रकृति करीब रहेंगे हम,
प्रकृति रहेगी, रहेगा जीवन प्यारा,
प्रकृति खत्म,खत्म होगा जीवन संसारा।

~ अतुल चौहान

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