मां की आंचल

बहुत मन करता है तेरी आंचल में रहने का
तेरी लोरी सुनने के लिए बैचन रहती हूं
तेरे बिना इस दुनिया में कोई पूछता ही नहीं
तेरी हाथो से खाने का मन करता है
पर तू कभी आती ही नहीं
तूने मुझे जन्म तो दिया
पर अपने गोद में खिलाया ही नहीं मां
तूने कभी अपने गोद में सुलाया ही नहीं
जब मैंने तुझे पुकारा तो अकेला पाया
खुश नसीब होते हैं जिनके पास मा की छाया होती हैं
तेरे बिना मुझे सब बदनसीब ही बोलते हैं
क्या तू मुझे अपने पास नहीं बुला पाती
क्यों छोड़ा मा अकेले

~ बिट्टू भगत

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