चिड़ीमार

चिड़ीमार

कलमकार लक्ष्मीकांत मुकुल इस कविता में गांव का दृश्य रेखांकित करते हुए कुछ तथ्य बताएँ हैं, आप भी पढें उनकी यह कविता- चिड़ीमार।

जब काका हल-बैल लेकर
चले जायेंगे खेत की ओर
वे आयेंगे
और टिड्डियों की तरह पसर जायेंगे
रात के गहराते धुप्प अंधेरे में
आयेगी पिछवारे से कोई चीख
वे आयेंगे
और पूरा गांव फौजी छावनी में बदल जायेगा
खरीदेंगे पिता जब बाजार से
खाद की बोरियां
वे आयेंगे
बोरियों से निकलकर सहज ही
और हमारे सपने एक-एक कर टूट बिखर जायेंगे
वे आ सकते हैं
कभी भी

सांझ-सवेरे
रात-बिरात
वे आयेंगे
तो बुहार के जायेंगे हमारी खुशियां
हमारे ख्वाब
हमारी नींदें
वे आयेंगे
तो सहम जायेगा जायेगा नीम का पेड़
वे आयेंगे
तो भागने लगेंगी गिलहरियां
पूंछ दबाये
वे आयेंगे
तो निचोड़ ले जायेंगे
तेरे भीतर का गीलापन भी
कभी देखोगे
फिर आयेंगे चिड़ीमार
और पकड़ ले जायेंगे कचबचिया चिरैयों को
जो फुदक रही होंगी डालियों पर।

~ लक्ष्मीकांत मुकुल

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.