मुस्कान अपनी बिखेर दो न, ओ प्यारी नर्स!
ग़म को खुशियों से घेर दो न, ओ प्यारी नर्स!
हर मरीज़ की पीड़ा हर लो न, ओ प्यारी नर्स!
नवजीवन का उसको वर दो न, ओ प्यारी नर्स!
संकटमोचन का रूप हो तुम, ओ प्यारी नर्स!
बसन्त ऋतु की धूप हो तुम, ओ प्यारी नर्स!
तुमसे जुड़ती जीवन रेखा है, ओ प्यारी नर्स!
हमने ईश्वर आप में देखा है, ओ प्यारी नर्स!
– इं० हिमांशु बडोनी (शानू)