मेरी मां और उसका मंदिर

मेरी मां और उसका मंदिर

माता सदा अपनी संतान की सलामती ही चाहती है और इसके लिए ईश्वर से भी प्रार्थना करती है। कलमकार विनीत पांडेय मां और उसके मंदिर के बारे में बताने का प्रयास कर रहें हैं।

मेरी मां और उसका मंदिर
संजोकर रखे हैं जहां उसने
ढ़ेर सारे भगवानों के बीच
असंख्य प्रार्थनाएं और मनौतियां
घण्टों पाठ के बाद
पति की गालियां
बेटों की घुड़कियां
बिटिया की लम्बी बीमारी
और किसी इंतजार में
फटही धोती का पसरा हुआ आंचल
शायद उस विधाता के प्रतिदान हैं
या फिर
नियति से मेरी मां का गुप्त गठबंधन

~ विनीत पांडेय

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