मधुशाला की बात निराली

मधुशाला की बात निराली

हो संकट या, कोई विकट
मधुशाला में, लगा है जमघट
विपदा हो, या खुशहाली
मधुशाला की बात निराली।

लोग कोरोना से है, भय पाता
मधुशाला का, दौरा लगाता
मंदिर-मस्जिद, सब पर ताले
मस्त है, फिर भी पीनेवाले
यह देश की है, कैसी नीति?
मधुशाला की बात निराली।

सामाजिक दूरत्व का, ध्यान भी रखते
मास्क लगाकर, मद के लिए
यज्ञ-पूजा सब वे करते
लाइन लगे वो, घण्टों फिर भी
प्यास मिटेगी, अब तो इसी क्षण ही
मधुशाला की बात निराली।

मद में मस्त हो जाना, सबका है अभियान
दूर रहेगा, कोरोना का दुनिया
इस सत्य को दुनियावालें, तू भी जान
आर्थिक नीति में, सबसे अधिक अहम है अभी मधुशाला
प्यास बुझाता, है यह घना दिलवाला
हर बात बना दे, मधुशाला
मधुशाला की बात निराली।

आधुनिकता के, दौर को आज
व्याख्यायित करता, मधुशाला
दुनिया द्रुत गति से, दौड़ रही
भेद ना किसी से, कर ये रहा
लाइन में खडे़ हैं, क्या स्त्री क्या पुरूष
सही बात, बच्चन साहब ने था कहा
भेद मिटाये मधुशाला
भेद मिटाये मधुशाला
मधुशाला की बात निराली।

कैसा है यह, मद का गुणगान?
एक को मारे, बचाए एक की जान
देश की अर्थनीति को बनाता
पर, देखो एक गरीब के घर को
कैसे है तबाह ये करता
सच में, भेद मिटाये मधुशाला
मधुशाला है, महाबली
मधुशाला की बात निराली।

~ पूजा कुमारी साव

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