छोड़ आसरे गफलत के खुद को मज़बूत बनाना है।
स्वावलंबी बन करके, खुद आत्मनिर्भर कहाना है।।
गैरों के कंधों पर अपनी,
बंदूक नहीं रखना सीखे!
खुद की मेहनत से ही,
खाना, जीना, रहना सीखे!!
जिम्मेदारी और परिश्रम से, हर पथ अब चमकाना है।
स्वावलंबी बन करके, खुद आत्मनिर्भर कहाना है।।
भाग्य भरोसे बैठे कायर,
उठो श्रेष्ट पुरुषार्थ करो।
सफ़लता की चाबी है यह,
मेहनत से ना कभी डरों।।
बाधाएँ कितनी हो पर, सहज पार कर जाना है।
स्वावलंबी बन करके, खुद आत्मनिर्भर कहाना है।।
दृढ़ संकल्पित लोगों को,
ईश्वर भी मिल जाते हैं।
खुद निश्चय करने वाले ही,
कीर्तिमान गढ़ जाते हैं।।
कंटक मार्ग मिले कितने, पर हौसले नहीं डिगाना है।
स्वावलंबी बन करके, खुद आत्मनिर्भर कहाना है।।
~ करन त्रिपाठी