कह गये राम सिया से-
ऐसा कलयुग आयेगा,
सांस-सांस पर टैक्स लगेगा,
बस लट्ठों का उपहार मिलेगा।
भोजन का अम्बार तो होगा,
पर दाने-दाने को मनुज तरसेगा।
भीषण महामारी में भी भ्रष्टाचार पनपेगा।
सांपों में जहर न होगा
पर आदमी जहर उगलेगा।
रक्षक भक्षक बन जायेंगे
झूठा देशधर्म का पाठ पढ़ायेंगे।
सारे चोर-लुटेरे …
भारत में साधु बन जायेंगे
रामराज की आड़ में,
रावणता पनपायेंगे।
कह गये राम सिया से –
देवों की शक्लों में दानव पैदा होंगे
मंदिर सभी बंद पडे रहेंगे
और मदिरालय सब खुले रहेंगे।
देश चलाने वाले महामारी में भी अवसर खोजेंगे
जितना लूट सकेंगे
जी भर-भरकर लूटेंगे …
मानवता तड़प-तड़पकर सड़कों पर
भूखी-प्यासी मर जायेगी
और फिर प्रलय हो जायेगी।
~ मुकेश कुमार ऋषि वर्मा