आपस में अगर अपना जिन्दा होना है
कोरोना के माहौल में हिम्मत कायम हो
भरोसा दिलो में जोड़े रखना है
दिलों में अपनी हुकूमत कायम हो
मन मेरा करता है बगावत कई दफा
हर पल इन्कलाब की सूरत कायम हो
क्या हो जब चारदीवारी कम सी हो
अगर लोग चाहते हैं इमारत कायम हो
बेखुदी,बे गैरत के इस लम्बे सफर में
अमन चैन की कोई तो समां कायम हो
कुछ रखा नहीं अपने पराये में जहां में
एक अदद प्रेम स्नेह की दौलत कायम हो
~ मुकेश बिस्सा