देखा नही खुदा कही
घूमा मन्दिर मस्जिद गुरूद्वारे
पता ना था वो पास है मेरे
हम जीते है जिनके सहारे
निकल पड़ते है वो हर सुबह
अपने कर्म निभाने
कुछ नही है अभिलाषा उनको
वो जान बचाते हमारे
पॉव पखेरना है हमको उनके
जब द्वार आये वो हमारे
हम पता नही क्यों भूल जाते है
वो भी हमारे जीने के है सहारे
गॉव शहर मे भेद ना करते
वो अपने कर्तव्य को करते
सफाईकर्मी, डाक्टर, पुलिस
ये सब है भारत मॉ के तारे
~ धीरज गुप्ता