बचपन गुजार के जवानी पाया
समाज के रीति को देखकर
रात दिन को एक किया, अब
क्यों करने लगे तपस्या?
सम्मान पाने के लिए?
खून पसीना एक किया
एक पल भी नहीं बर्बाद किया
जितने भी तुमको दर्द मिले,
उसको तुम भुला दिया
क्यों करने लगे तपस्या?
बड़े बनने के लिए?
धूप में जलकर ठंड में रहकर
वर्षा-तूफान, से भी नहीं डरा
भूख प्यास को छोड़ कर,
क्यों करने लगे तपस्या?
अपनी नाम ऊंचा करने के लिए?
क्या किया और क्या नहीं किया?
एक भी तू ने कसर नहीं छोड़ा
अब करने लगे दिन हिना की सेवा
क्यों करने लगे तपस्या?
प्रसिद्धि पाने के लिए?
मोह-माया को छोड़ कर
लालच से मुंह मोड़ कर,
सुख-दुख के बीच में,
तू रहने लगा
क्यों करने लगे तपस्या?
परम शांति पाने के लिए?
हां परम शांति पाने के लिए।
~ आशुतोष प्रताप