लॉक डाउन के चौथे चरण में खुलने लगी दुकान,
झट पट अधिकतर दौड़ पड़े हैं, खरीदने सामान।
पर इतना समझ लीजिए, खतरा नहीं अभी टला,
सोशल डिस्टेंस न बनाया, जीना न होगा आसान।।
अभी संभल कर रहना होगा, इसी में समझदारी,
वरना चपेट में ले लेगा, न पहचाने यह महामारी।
सड़कों पर अब बढ़ रही, पहियों की नित रफ़्तार,
सरकार ने बहुत कुछ किया, हमारी भी जिम्मेदारी।।
कुदरत ने बता दिया, प्रकृति का न करें नुकसान,
यदि हम करेंगे अति, तो निश्चित मिटनी है पहचान।
प्रकृति के नियमों में न करें हम कभी दखलंदाजी,
ईश्वर से बढ़कर कभी भी न हो सकता है इंसान।।
सादा जीवन और उच्च विचार को अपनाएं हम,
प्रकृति से बड़े हम हो सकते हैं, यह न पालें वहम।
प्राकृतिक सौंदर्य को बचाने में ही हमारी है भलाई,
वरन कई होगी बीमारी, हम जाएंगे एकदम सहम।।
घर से अभी भी हम निकलें, जब हो बहुत जरूरी,
एक बार निकले, सामान की आवश्यकता करें पूरी।
कई बार निकलने व सैर सपाटे का अभी न समय,
संक्रमण टल जाए, इच्छा पूरी करें जो अभी अधूरी।।
~ लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव