1. भगवान विश्वकर्मा
हे भगवान विश्वकर्मा!
हमारे आराध्य
निर्माता सुधर्मा
दुनिया के समस्त कामगारों को
मजदूरों को,बेसहारों को, लाचारों को
पहरेदारों को,बुनकरों को, कलाकारों को
नल – नील सा हुनर दे दो
विश्वेश्वरैया सा कौशल दे दो
कलाम व सिवन सा सम्बल दे दो
बाल्मीकि सुखदेव वेदव्यास बना दो
आर्यभट्ट सुश्रुत कालिदास बना दो
बना दो नेकदिल बुद्ध
विवेकानन्द सा प्रबुद्ध
भर दो सभी में
कारीगरी कौशल वांछित शिक्षा
दूर हो जाए धरती से
भूख गरीबी बेरोजगारी मजबूरी असुरक्षा
हे भगवान विश्वकर्मा!
सुन लो विनय
दीनबंधु सक्षम समर्थ शर्मा।
2. सृष्टि के कर्ता धर्ता
सारे सृष्टि के कर्ता धर्ता देवों के शिल्पकार,
हथौड़े और छेनी को जिसने बना लिया हथियार।
बना लिया हथियार, ये सच्चा व्यापार।
एक से एक अद्भुत रचनाएँ,
जिसमें दिखती अप्रतिम कलाएँ।
चाहे वह द्वारिकापुर हो या लंका का दुर्ग द्वार।
हस्तिनापुर हो चाहे इन्द्रप्रस्थ,
स्वर्ग को भी जिसने दिया अमरत्व।
कर्म ही जिसकी पूजा उसे काम न कोई दूजा।
एक से एक मनोहारी जिसने की चित्रकारी,
ऐसे विश्वकर्मा भगवान पर मैं सत सत वारी।
छोड़ो नौकरी सरकारी, तुम भी बनों सृजनकारी।
हर रोगों की बलिहारी, कर्म के बनों पुजारी।
3. गुरु विश्वकर्मा
वास्तुशिल्प के जनक
देवगणों के पूज्यनीय
जन्म हुआ समुद्र मंथन से
या नारायण ने उत्पन्न किया
ब्रहमा ने किया निर्माण
या हो शंकराचार्य के पौत्र
हो यशस्वी और ज्ञानी तुम
ज्ञान के स्त्रोत हो।
अस्थि दधिचि की ले
कर व्रज का निर्माण
किया इंद्र को भेंट।
सृजन किया सतयुग का स्वर्ग
त्रेतायुग की लंका,
द्वापर की द्वारिका और
कलियुग का हस्तिनापुर।
तुम हो सबके शिल्पी
महादेव का त्रिशूल,
हरि का सुदर्शन चक्र
हनुमान जी की गदा,
यमराज का कालदंड,
कर्ण के हो कुंडल
कुबेर के पुष्पक विमान।
शिल्प कला के ज्ञाता
कर्म ही तुमको भाता
हमको भी दो थोड़ा सा ज्ञान
मिले सबको स्वरोजगार
कोई न हो व्यथित
बिना रोजगार के।
करा दो नैया पार
दे आशीष तकनीकी ज्ञान का।